सीहोर जिले में शिक्षा के हाल-वेहाल पढ़ाई के पहले छात्र लगाते हैं झाड़ू और भरते हैं पानी ।
देश में शिक्षा का अधिकार कानून भले ही लागू हो गया हो। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में इसका पालन नहीं किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था के हाल बेहाल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोज सुबह माता-पिता अपने बच्चों को तैयार करके पढ़ाई के लिए स्कूलों में भेजते हैं, ताकि उनके छोटे छोटे बच्चे शिक्षा ग्रहण कर सके लेकिन स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों को सबसे पहले स्कूलों में झाडू लगाना पड़ती है तो कहीं पीने का पानी भर कर लाना पड़ता है। इसके बाद ही इन छात्र छात्राओं की पढ़ाई शुरू हो पाती है। इसमें सबसे खास बात यह है कि यह सब काम स्कूलों में शिक्षकों की मौजूदगी में होता है
शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती ऐसी ही दो तस्वीर सामने आई है। पहला मामला आष्टा विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला झीकड़ी खुर्द का है यहां पर दो शिक्षक पदस्थ है तथा 41 बच्चे दर्ज हैं इस स्कूल परिसर में छात्र-छात्राओं को पीने के लिए पानी का कोई इंतजाम नहीं है इसके चलते यहां पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों को अपने से अधिक वजन का पानी का कैम्पर भरकर लाना पड़ता है। तब जाकर पीने को पानी मिलता है। बच्चों को रोज पानी भरना पड़ता है इससे कपड़े भी गीले हो जाते हैं पानी के कैंपर में बहुत वजन रहता है इसलिए दो-दो बच्चे एक लकड़ी में लटका कर उठाते हैं स्कूल परिसर से दूर लगे हैंड पंप पर शिक्षक खुद बच्चों को पानी भरने के लिए भेजते हैं
कुछ इसी तरह का मामला शासकीय प्राथमिक शाला झांझनपुरा का है यहां पर 18 बच्चे दर्ज तथा दो शिक्षक पदस्थ हैं यहां पर भी पढ़ाई से पहले हर रोज छोटे-छोटे बच्चों को झाड़ू लगाना पड़ती है इसके बाद ही इन बच्चों की पढ़ाई शुरू हो पाती है झाड़ू लगाते समय बच्चों के कपड़े भी गंदे हो जातें हैं।
जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी संजय सिंह तोमर से बात की गई तो उन्होंने फिर वही रटा रटाया जवाब दिया कि आपके माध्यम से मामला सामने आया है जांच कराई जाएगी